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30 साल बाद Farming कितनी एडवांस हो जाएगी।



हैलो दोस्तो केसे हो  i hope बिल्कुल ठीक होंगे आप सब लोग। स्वागत है, आपका  एक बार फिर एक नई उमंग  और एक नए टॉपिक के साथ तो चलिए शुरू करते हैं एक और नये  और इंटरस्टिंग आर्टिकल के साथ।

 आज से 30 साल बाद यानी 2050 तक जनसंख्या करीब दस बिलियन  हो जाएगी। और जितना हम आज अनाज पैदा कर रहे हैं और आज की जनसंख्या का पेट भर रहे हैं 2050 के बाद हमको इससे कहीं 2 गुना ज्यादा अनाज पैदा करना पड़ेगा। साल 1900 में अमेरिका जैसी कंट्री में 10.9 मिलियन किसान खेती कर रहे थे। और आज की बात करें तो खेती करने वालों की सख्यां केवल 6 मिलियन ही रह गई है। जब अमेरिका जैसे देश में भी लोग खेती करना छोड़ चुके हैं तो सोचिए हमारे देश का क्या होगा।  भारत का किसान तो खेती से वैसे भी आज दुःखी हो चुका है।  और भारत में खेती वैसे भी कोई करना नहीं चाहता है। और कोई भी किसान अपने बच्चों को किसान नहीं बनाना चाहता। हर फील्ड में ऐसा होता है अगर कोई डॉक्टर है तो वो अपने बच्चे को डॉक्टर बनाना चाहता है, कोई एक्टर है तो एक्टर बनाना चाहता है I फिर कोई मा बाप अपने बच्चों को किसान क्यों नहीं बनाना चाहता। आपने इस बारे में सोचा है कभी। और अगर ऐसा ही चलता रहा तो दोस्तो आने वाले समय में एक बहुत बड़ी आबादी का हिस्सा बुखमरी का शिकार हो जाएगा। हमारे फैलाए प्रदूषण और कारखानों से निकले जहरीले केमिकल से जब तक मिट्टी की उपज खत्म होगी उससे पहले उस मिट्टी में पसीना बहाकर अनाज उगाने वाला किसान ही लुप्त हो जाएगा। गंभीर परिस्थिति के बारे में सायद कृर्षि वैज्ञानिक पहले से ही संचेत हो गए हैं। और इसका रास्ता सायद अब धीरे धीरे निकलता दिखाई दे रहा है। और ये रास्ता Adwance Technology की सहायता से आगे बढ़ेगा। और आज हम आपको भविष्य की खेती के बारे में बताने वाले हैं। 

Future of agriculture


अमेरिका में साल 1900 के समय कुल किसान 10.9 मिलियन खेती करते थे। जो कि एक बहुत बड़ी आबादी का पर भरा करते थे। परन्तु आज अमेरिका में केवल 6 मिलियन ही किसान खेती कर रहे हैं। जो लगभग 300 मिलियन लोगों का पेट पाल रहे हैं।  पहले की वजाए लोग ज्यादा हो गए हैं, और किसान कम फिर इतनी उपज मिटटी की गिरती उर्वरकता और गिरती  फर्टिलिटी के बावजूद जो एडवांसमेंट हुए है खेती उद्योग मैं ये डेवलपमेंट केवल दो ही चीजों से हुआ है, एक बिजली कि आपूर्ति और दूसरा मशीनों का प्रयोग। और आने वाले समय में (A.I.) आर्टिफिशियल  इंटेलिजेंस से लैस मशीनों का उपयोग बढ़ने वाला है। और इसके साथ ही पैदावार भी बढ़ेगी। यूनाइटेड  नेशन का कहना है कि हर साल 20% सिलिकॉन और 40% तक जो फसल खराब होती है वो कीड़े और दूसरे पोधों के ही रोग से खराब हो जाती है। तो आप सोचो एक कितनी बड़ी मात्रा में फसल खेतों में ही खराब हो जाती है। परन्तु इससे छुटकारा पाने के लिए बहुत लेटेस्ट और एडवांसमेंट आ चुके हैं।

Agriculture drone startup

Agribotix drone एक ऐसी कंपनी है जिसने ड्रोन के लिए एक ऐसा सॉफ्टवेयर तेयार किया है जो अपने कैमरे की सहायता से फसल की बारीकी से मॉनिटरिंग करेगा और पता लगा लेगा की पोधे कहा से खराब हुए हैं। और इसके बाद ये मेसेज भेजेगा पहले कम्प्यूटर में और उसके बाद स्मार्टफोन पर। और उसके बाद एक रोबोट एडवांस Technology से लैस खेत के उस हिस्से तक जाएगा जहां पोधे खराब हो रहे हैं, और रोबोट केवल वहीं पेस्टीसाइड दवाई  डालेगा जहां पोधे में रोग लगा हुआ है। या कोई खरपतवार उग गई है, या कोई कीड़ा लगा हुआ है। इससे फायदा ये होगा कि जो उपज है उसमे केमिकल की मात्रा कम हो जाएगी। और जो मिट्टी पर पड़ता है केमिकल वहां से भूमि बंजर होने से बच जाएगी। सिर्फ वहीं पर केमिकल पड़ता है जहां उस की जरूरत है। और cost भी बच जाएगी जो कोस्ट कीटनाषक पर  लगती है वो कम हो जाएगी जिससे किसान को फायदा होगा। और इसकी मदद से पैदावार भी अच्छी  होगी । लेकिन ये ड्रोन छोटे किसानों के लिए बेहतर है जिन किसानों के खेत छोटे हैं। लेकिन जिन किसानों के खेत ज्यादा है, उनका क्या  फार्म बड़े है या जिन किसानों के खेत 100 से 200 एकड़ है या उससे ज्यादा है उनके लिए मेवरिक्स कंपनी ने 100 पायलेटों से अनुबंध किया है, इन पायलेटों के पास लाइट एयर क्राफ्ट है। जिसमे मल्टी स्पेक्ट्र कैमरा लगे हुए हैं। और ये प्लेन खेतों के उपर से उड़ेगा और इनमें लगा कैमरा खेतों का डेटा लेगा और इसके बाद सारी डेटा बेस को इकठ्ठा कर के एक कम्प्यूटर में भेज देगा और सारी चीज़ों को analytics करके बता देता है कीड़ा कहा लगा है,  बीमारी कहां फैली है कहां पेस्टीसाइड की जरूरत है। कहां फर्टिलाइजर्स की जरूरत है। सारा डेटा निकाल लेता है। और इसके अलावा प्लैनेट लैब नाम की एक ऐसी कंपनी है जो स्टेलाइट इमेज की मदद से क्यूब स्टेटस बनाती है और फिर उससे खेती का डेटा मॉनिटरिंग करते हैं। और वो कंपनी स्पेस से ही पता लगा लेती है कि खेतों में किस जगह पर दीकत है या किस जगह पर किस चीज की जरूरत है। और इसके अलावा ये कंपनियां analytics सॉफ्टवेयर बनाने के लिए काम कर रही है जिस कि मदद से खेतों का सारा डेटा इकठ्ठा करके किसानों को भेजा जा सके। 


इसके अलावा ऐसे ऐसे सेंसर और ऐसी ऐसी मशीन आ गई है जो मिट्टी की गुणवत्ता को रियल टाइम में पता लगा लेती है जिस मिनरल और किस तत्व कि कमी है, मिट्टी में सारा कुछ बता देती है। 


Bonirob farming robot



ये एक ऐसी मशीन है जो मिट्टी के सैंपल लेती है इस मशीन का नाम Bonirob farming है और ये खेत से सैंपल लेने के बाद मिट्टी को तरल पदार्थ में बदल देती है और इसके बाद ये पता लगाती है मिट्टी में PH कितना है और इसका सोर्स लेवल कितना है और इसके बाद ये पता चल जाता है कि इस मिट्टी में कोंसी फसल लगानी चाहिए और किस उर्वरकों का प्रयोग करना है। 

vertical farming systems



ये फार्मिंग  हाइड्रोपोनिक एयरोपोनिक सिस्टम से चलती है। इसमें बिना मिट्टी के पोधों को उगाया जाता है। इसमें एक के ऊपर एक चैंबर बनाकर पोधों को लगाया जाता है। और इसीलिए इसका वर्टिकल फार्मिंग नाम दिया गया है। और पोधों को पानी देने के लिए पाइप का प्रयोग किया जाता है। पाइप में लगातार पानी चलता रहता है और इस पानी में पोधों की जड़े डूबी रहती है। और इसी तरह की खेती को हाइड्रोपोनिक सिस्टम कहा जाता है। फिलहाल इस तरह की खेती जहां भूमि की कमी है वहां की जा रही है। इस तरह खेती करने से एक तो बिजली का कम उपयोग किया जाता है और दूसरा ये पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती होती है। बिना केमिकल के कि जाती है ये खेती और साथ ही कम जगह कि जरूरत होती है। 


और ज्यादा उत्पादन किया जा सकता है। इस तरह की खेती करने के लिए आर्टिफिसियल लाईट कि जरुरत होती है जिससे आर्टिफिसियल एंवायरमेंट क्रिएट किया जा सके जो बाकी फसलों के मुताबिक ज्यादा उत्पादन देता है। जिसमे ब्लू और रेड कलर की लाईट का उपयोग किया जाता है। 

Agrobot company

इसके अलावा UK के कुछ रिसर्चर ने इसी मशीन को बनाया है, जो आसानी से स्ट्राबेरी को तोड़ सकती है। और ये इंसानों से बहुत ज्यादा काम करती है। साथ ही रिसर्चर का कहना है कि वो और भी ऐसी मशीनों को बनाने वाले है, जो स्ट्राबेरी के अलावा और भी फ्रूटों को तोड सके| 

Autonomous farming



ऑटोनोमस फार्मिंग यानी ऐसे रोबोट्स की मदद से होने वाली फार्मिंग। ऑटोनोमस फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए UK के  Harper Adams  के रिसर्चर 1 हेक्टेयर भूमि में केवल मशीनों की मदद से फसल लगाई और इस फसल को उगाने के लिए उन्होंने किसी भी इंसान से कोई भी काम नहीं करवाया। अगर आप इस टेक्नोलॉजी खेती के बारे में अगर आप सही से जानना चाहते हैं तो आपको पहले क्रिस्पर टेक्नोलॉजी के बारे जानना होगा उसके उपर हमने पहले भी एक आर्टिकल पोस्ट किया है। जो genetic modification  कराने की technic है।

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और अब इसी तरह ही  Genetic technology के मदद से पोधों की क्वालिटी को भी चेंज किया जा सकता है।  पैदावार को बढ़ा सकते हैं। और रोग प्रतिरोग क्षमता को भी बढ़ाया जा सकता है। और इस टेक्नीक की मदद से कीड़े कम लगेगें और पैदावार ज्यादा होगी। और दो बड़ी बड़ी कंपनियां है Dupont और Sygenta इन्होंने Geonomic selection की मदद से मक्के कि पैदावार को बढ़ाया है। बीज का नाम है अक्वामैक्स और इससे जबरदस्त पैदावार बढ़ी है। दोस्तो आपको ये जानकारी (30 साल बाद फार्मिंग कितनी एडवांस हो जाएगी) केसे लगी कॉमेंट में जरूर बताएं, और ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग को फॉलो कर लीजिए, और अगर हमारी ये पोस्ट आपको पसंद आई है तो अपने दोस्तों के साथ शेयर भी कर दीजिए और यहां तक पढ़ने के लिए दोस्तो आपका धन्यवाद्!



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