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DNA Editing क्या आपने कभी डिजाइनर बेबी के बारे मैं सुना है।

DNA Editing क्या आपने कभी डिजाइनर बेबी के बारे मैं सुना है।नहीं सुना तो चलिए आज इसी टॉपिक के बारे मैं बात करते हैं। आज टेक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ गई है, जिसकी कल्पना कर पाना नामुकिन है, विज्ञान के क्षेत्र में हमारे वैज्ञानिकों ने बहुत सफलताएं हासिल कर ली है। आज अगर टेक्नोलॉजी के बारे में बात की जाए तो कोई  भी चीज आज मुश्किल नहीं है, इस बढ़ती हुई टेक्नोलॉजी से आज मनुष्य का हर  काम को कर पाना बहुत आसान हो गया है।  टेक्नॉलाजी आने से इन्सानों का फायदा भी हुआ है, और दूसरी तरफ देखा जाए तो कुछ नुकसान भी है। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, जैसे हर बात के भी दो मतलब होते है। इसी तरह विज्ञान के क्षेत्र में कुछ वैज्ञानिक अच्छा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ कुछ गलत भी हो रहा है। अच्छाई और बुराई साथ चलती है, ये एक सत्य है, इसको नकारा नहीं जा सकता। और इस चीज का हम सभी को  खामियाजा भुगतना पड़ता है।





क्या है DNA Editing

हाल ही के सालों में चाइना के एक वैज्ञानिक हे जियानकुई का कुछ वर्ष पहले दावा था कि उन्होंने दो जुड़वा बच्चों के DNA को एडिट कर दिया है। और ये DNA एडिट कामयाब रहा और जुड़वा बेबी गर्ल्स का जन्म हुआ। और DNA Deoxyribonucleic Acid  ही हमारे जीवन का मुख्य आधार होता है। और उन्होंने इसमें ही छेड़ छाड़ कर दी थी। 




और इसके बाद चाइना के वैज्ञानिक है जियानकुई को बैन भी कर कर दिया गया। और तभी दुनिया में एक नया सब्द भी सुनने को मिला डिजाइनर बेबी और इससे नाराज लोगों ने कहा इस तरह विज्ञान जगत तो इंसान को ही बदल देगा।  इस चीज से कुछ लोगों ने हैरानी जताई तो वहीं कुछ लोगों ने आलोचना भी की इसको लेकर। आप क्या सोचते हैं इसके बारे में क्या DNA एडिटिंग करना सही है, या फिर चिन्ता का विषय है। और क्या ये टेक्नोलॉजी इन्सान की प्रजाति को बदल सकती है। फिर तो ऐसा होगा कि लोग इस टेक्नोलॉजी कि मदद से ऐसे बच्चों को जन्म देगें जो फिजिकली और मेंटली दोनों तरह से मजबूत होंगे बाकी बच्चों के मुकाबले। फिर तो इस बात का भी खतरा भी हो सकता है, कि कोई मंचला पूरी दुनिया पर राज करने के लिए लैब में कोई एक बेहतर और नए ह्यूमन को इजात कर सकता है। ऐसा भी हो सकता है, आपका क्या विचार है इस चीज के बारे में आप अपना सुझाव भी दे सकते हैं। हमें भी पता चले आप इसको लेकर जिंतित हो या फिर कुछ और सवाल है आपका इसके बारे मैं, तो नीचे comment बॉक्स में comment करना ना भूलें।  अगर में आपको आसान भाषा में बताऊं DNA एडिट क्या है, तो आप जिस तरह से अपने मोबाइल या कम्प्यूटर में किसी भी चीज के साथ एडिटिंग करते हैं, ठीक उसी तरह मोबाइल या कम्प्यूटर में आपने किसी सब्द को सलेक्ट किया और फिर उसे किसी और सब्द से रिप्लेस  कर दिया। ठीक उसी तरह DNA एडिट होता है। ऐसा दुनिया में पहली बार हुआ था जो DNA में किसी ने छेड़ छाड़ की हो और उससे बच्चा पैदा किया हो। इस genetic टेक्नोलॉजी में भी एक अच्छी और बुरी दोनों चीजे है, इस डिजाइनर बेबी का विचार जहां एक जगह आशा भरी संभावनाएं पैदा करती है, तो कई जगह डर भी पैदा करती है।  कुछ लोग तो ऐसे भी होंगे जो ऐसी टेक्नोलॉजी को बिल्कुल अपनाना नहीं चाहेंगे और यही पर कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो ऐसी कोई टेक्नोलॉजी का उम्मीद करते होंगे। उन लोगों के लिए तो जरूर फायदे मंद  साबित हो सकता है, जो लोग किसी कारण वश या किसी जेनेटिक्स बीमारी कि वजह से बच्चे पैदा नहीं कर सकते हैं। डिजाइनर बेबी कहना तो बिल्कुल गलत होगा क्योंकि ये कोई वस्तु तो नहीं है जिसमें डिजाइनर सब्द का प्रयोग किया जाए। और ये सब्द उन मा बाप के लिए तो बिल्कुल अच्छा नहीं होगा जिनको नेचुरल बेबी चाहिए।



इस जैनेटिक टेक्नोलॉजी जिसको आईवीएफ यानी  In vitro fertilization कहते हैं। इसके दौरान किसी महिला के अंडाणु यानी एग्ग लैब में फर्टिलाइज करके  विकसित होने के लिए दोबारा गर्भाशय में रख दिया जाता है। 


Crispr तकनीक 

एक इंटरवयू के दौरान अमेरिकी स्टैनफोर्ड यूनवर्सिटी के प्रोफेसर हंक ग्रिली का इस जेनेटिक टेक्नोलॉजी के बारे में कहना है, कि इसमें बहुत संभावनाएं हैं साथ ही वो कहते हैं कि इस टेक्नोलॉजी में छिपी आशंकाओं को नकारा नहीं जा सकता। वो कहते हैं कि अगर हम किसी खास लोगों को बनाने के लिए ह्यूमन जिन में अगर किसी तरह का बदलाव करते हैं, तो हम मौजूदा इन्सानी जाती मैं अगर कोई कमी है, तो हम जाने अनजाने में इस आशाओं को कम कर रहे होंगे। और इसके रिजल्ट बहुत खास हो सकते हैं। जिसकी कल्पना करना नामुमकिन है। ये टेक्नोलॉजी हमारी इस पर्जाती को चेंज करने के लिए इतना बड़ा खतरा अगर ना भी हो, लेकिन असमानता का खतरा जरूर हो सकता है। और उनका साथ ये भी कहना है कि अगर हम इस टेक्नोलॉजी से इंसान को पहले से बेहतर बनाने के लिए करें तो इसमें दिक्कत ये है, कि ये टेक्नोलॉजी मंहगी होने के कारण सिर्फ अमीरों के लिए होगी। क्योंकि मंहगी होने के कारण आम लोग तो एफोर्ड भी नहीं कर सकेंगे। इसलिए वो कहते हैं जैनेटिक टेक्नोलॉजी के सामाजिक अर्थ्यवस्था की ओर ध्यान देना चाहिए। 




और साथ ही ह्यूमन जिन के साथ छेड़ छाड़ के कारण अन नेचुरल होगा ये करना बिल्कुल ठीक नहीं है। सिर्फ यही नहीं है कि किसी को हेल्दी बचा चाहिए लोग इस टेक्नोलॉजी से सुपर मैन बच्चा चाहेंगे। वो ऑब्जेक्शन के साथ ये भी कहते हैं कि  चाइना के वैज्ञानिक ने जो ये किया है सायद उनको ये मालूम नहीं है कि ये टेक्नीक  कितनी भयानक हो सकती है। और इसी वजह से  क्रिस्पर तकनीक के इस्तेमाल पर चाइना पर नजर रखी जाती है। फियोडोर ऑरनोव ओल्टियस इंस्टीट्यूट फॉर बायोमेडिकल साइंसेस के वैज्ञानिक हैं और वो crispr तकनीक पर रिसर्च कर रहे हैं। अफ्रीकी महाद्वीप में ऐसे बहुत से देश है जहा   ड्रीपेनोसाइटोसिस के साथ बच्चे पैदा होते हैं ये एक भयानक बीमारी है इसके कारण वो बच्चे सिर्फ 4 या 5 साल तक ही जिवत रह सकते हैं फियोडोर जैसे वैज्ञानिक अपनी रिसर्च से इन बच्चो को एक अच्छा भविष्य देना चाहते हैं। डिजाइनर बेबी जितना सुनने में आसान लग रहा है उतना आसान है नहीं  है, किसी जैनेटिक बीमारी को ठीक करने के लिए उसमे फेर बदल करना और डिजाइनर बेबी को त्यार करने के लिए जिन में छेड़ छाड़ करना दोनों में बहुत ज्यादा फर्क है। जैनेटिक बीमारी के मामले में किसी खास जिन कि पहचान करना एक अलग विषय है और वहीं सिर्फ  डिजाइनर बेबी के लिए जिन को अलग करके उसमे छेड़ छाड़ करना ये दूसरी बात है। दोनों प्रयोगों में एक बहुत बड़ा फर्क है। किसी भी टेक्नोलॉजी के अच्छे और बुरे दोनों परिणाम होते हैं। अच्छे और बुरे का फर्क करना भी सही है। और आपका इसके बारे में क्या सोचना है हमें कॉमेंट बॉक्स में जरूर बताए। आर्टिकल यहां तक पढ़ने के लिए धन्यवाद। 

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