Dark web इंटरनेट की एक काली दुनिया।
इस आर्टिकल का उदेश्य केवल आप तक डार्क वेब से जुड़ी जानकारी देना है।डार्क वेब का इस्तेमाल करना गेरकानुनी है। तो इस आर्टिकल में हम आपको कहीं पर भी डार्क वेब को इस्तेमाल करने की सलाह नहीं देते हैं। कृप्या डार्क वेब से दूर ही रहे और खुद को और अपने आस पास को सुरक्षित रखे।
दुनिया में अगर किसी भी प्रकार की आविष्कारों की अगर बात की जाए तो ऐसा नामुमकिन है की इंटरनेट की बात ना हो। अगर इंटरनेट की बात करे तो आज दुनिया कि जरूरी चीज बन गया है इंटरनेट के बिना मानो जीवन अधूरा है। इसके बिना एक दिन भी बिताना बहुत कठिन है। आज इंटरनेट का इस्तेमाल तरह तरह के कामों के लिए किया जाता है। इसके बारे में आपको बताने की जरूरत नहीं है कि इंटरनेट केसे यूज किया जाता है ये आर्टिकल आप एक इंटरनेट एक्सेस से ही पढ़ पा रहे हो। लेकिन आप को जो में बताने वाला हूं उसके बारे में जानकर तो आप बिल्कुल हैरान हो जाओगे की जो हम इंटरनेट एक्सेस करते हैं जिसका हम आसानी से यूज कर पा रहे हैं वो तो पूरे इंटरनेट का 5% भी नहीं है अब आप सोचोगे तो बाकी का इंटरनेट कहा है। बाकी का इंटरनेट आम लोगों की पहुंच से बहुत बाहर है। दरअसल इंटरनेट को तीन भागों में बांटा गया है सर्फेस वेब, डीप वेब और डार्क वेब।
Surface web
सर्फेस वेब इंटरनेट का वो हिस्सा है जिसे हम और आम लोग इस्तेमाल कर पाते हैं ये इंटरनेट का सबसे छोटा हिस्सा है। जो कि कुल इंटरनेट का 5% भी नहीं है। और ये इतना इंटरनेट ही अपने आप में एक अथा सागर है। और अब आता है डीप वेब।
Deep web
डीप वेब ये इंटरनेट का वो भाग है जहां मौजूद सारी इन्फॉर्मेशन पब्लिकली मौजूद नहीं होती। ये इन्फॉर्मेशन किसी सर्च इंजन या किसी वेबसाइट से नहीं ली जा सकती। डीप वेब पर मौजूद इन्फॉर्मेशन को बहुत सेक्योर रखा जाता है क्योंकि ये वो इन्फॉर्मेशन होती है जो अगर किसी गलत इंसान के हाथो में पहुंच जाए तो उसका अंजाम बहुत बुरा और विनाशकारी हो सकता है। डीप वेब को केवल लिगल एक्टिविटी के लिए यूज किया जाता है। इसमें सब्सक्रिप्शन बेस डेटा और पासवर्ड प्रोटेक्ट डेटा सरकारी दस्तावेज और देश की सुरक्षा से जुड़ी जानकारीयां बैंक की फाइनेशियल डिटेल्स रक्षा वितिए सम्बन्धी जानकारियां गोपनीय रखी जाती है और किसी सरकारी या प्राइवेट कम्पनियों में जॉब करने वाले लोगों का पर्सनल डेटा गोपनीय रखा जाता है। डीप वेब पर जो भी डेटा होता है उसे बहुत ही सेक्योर रखा जाता है। बिना परमिशन के उसे एक्सेस नहीं किया जा सकता। डीप वेब में मौजूद इन्फॉर्मेशन को एक्सेस करने वाले को अपनी पहचान देना जरूरी होता है। बिना पहचान दिए वो कोई भी इन्फॉर्मेशन को एक्सेस नहीं कर सकता। अब इंटरनेट का तीसरा और आखिरी भाग है Dark web
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Dark web
डार्क वेब ये इंटरनेट की वो काली दुनिया है जहां पर जाने के लिए कोई भी किसी को सलाह नहीं देता है। क्योंकि ये साईबर अपराधियों का अड्डा है जहां पर उनको खोजना नामुमकिन है नहीं बहुत मुश्किल काम है। आपको जानकारी आश्चर्य होगा कि इंटरनेट पर होने वाली सबसे पहली लेन देन एक इलिगल ट्रांजेक्शन थी। जिसमे ड्रग्स को इंटरनेट पर सेल किया गया था। यानी डार्क वेब इंटरनेट के सुरुआती दौर में ही वर्चस्व में आ गया था। आज इसका इस्तेमाल बहुत गेरकानुनी तरीके से किया जाता है जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते। डार्क वेब पर हथियारों से लेकर और ड्रग्स तक का व्यापार किया जाता है। सर्फेस वेब पर जैसे हम ऑनलाइन शॉपिंग अमेज़न, फ्लिप्कार्ट, इबे के द्वारा करते हैं ठीक उसी तरीके से डार्क वेब पर ऐसी ऐसी वेबसाइट्स हैं जहां पर हथियारों और ड्रग्स को खरीदा और बेचा जाता है।यही नहीं डार्क वेब पर लोग जानवरों के मीट भी बेचते हैं और उनकी खाल भी सेल करते हैं जिनको सरकार ने बैन कर रखा हो। इसके अलावा यहां क्रेडिट्स कार्ड पॉर्नो ग्राफी लोगों की बैंक डिटेल्स कि तस्करी का व्यापार भी किया जाता है यहां पर काम करे लोग इन्सानी अंगो और उनके मास को भी बेचा जाता है। इलुमिनाती और इस जैसी और भी सोसाइटी डार्क वेब पर एक दूसरे से जुड़ी हैं। और अपने कामों को अनुयाइयों तक पहुंचाती है। डार्क वेब पर हर हद को पार किया जाता है। डार्क वेब पर ऐसी ऐसी विडियो मौजूद हैं जहां इंसानों के मांस और उनके अंग और उनसे नई नई डिश बनाने के ट्यूटोरियल दिए जाते हैं। हाल ही में डार्क वेब पर रेड रूम का चलन बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस रूम के बारे मैं आपको सायद जानकारी नहीं होगी तो आपको बता दें यहां पर इंसानों को बहुत बेहरेमी से टॉर्चर किया जाता है और वहां पर कैमरा को छुपा दिया जाता है और उसकी वीडियो बनाई जाती है और इस पूरी प्रक्रिया को लाइव स्ट्रीमिंग के द्वारा दिखाया जाता है। और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि लोग पैसे देकर डार्क वेब पर इंसानों का टॉर्चर लाइव टेलिकास्ट देखते हैं। इतना ही नहीं लोग अपने मन पसंद का टॉर्चर देखने के लिए भारी भरकम राशि चुकाते हैं। इस तरह के रेड रूम कि वीडियो देखने वाले यूजर लगभग 13 लाख से भी ऊपर है डार्क वेब पर। अब आप खुद इमेजिन कर सकते हो किस किस तरह के लोग दुनिया में सरवाइव करते हैं। और डार्क वेब पर जितना भी लेन देन होता है वो क्रिप्टो क्रेंसी में होता है।
जिसके कारण डिटेल ट्रैक करना असम्भव है। जैसे हम लोग सर्फेस वेब पर ऑनलाइन चिकन, फिश, और मीट खरीदते हैं। ठीक उसी तरह डार्क वेब पर लोग इंसानों के ऑर्गन खरीदते हैं। और ये सब देश की सुरक्षा और सरकारों को इनकी कानों कानों तक ख़बर पता नहीं चल पाती तभी तो इनको ट्रैक करना इंपॉसिबल है। क्योंकि इस तरीके के पोर्टल को केसे एक्सेस किया जाता है ये सब उन्हीं लोगों को पता होता है जो इनसे जुड़े होते हैं। आपने बहुत सी ख़बरे तो सुनते ही रहते हो कि कोई इंसान अचानक गायब हो जाता है और बहुत ज्यादा ढूंढने के बाद भी वो इंसान नहीं मिलता ऐसा माना जाता है कि ऐसे लापता लोगो के पीछे डार्क वेब का ही हाथ होता है।जो अपने फायदे के लिए डार्क वेब पर इस्तेमाल करते हैं। अब आपको इतना सब जानने के बाद आपके मन में एक स्वाल तो जरूर आया होगा कि डार्क वेब को इस्तेमाल केसे किया जाता है। इस बात को जानने से पहले ये जान लो कि डार्क वेब को यूज करना या एक्सेस करना पूरी तरह से गेरकानुनी है और हमारे इस आर्टिकल का मतलब बस आपको जानकारी देना है ना कि इसको हम यूज करने की सलाह आपको बिल्कुल नहीं देते। इसको इस्तेमाल करने के लिए एक स्पेशल टाईप के ब्राउजर का इस्तेमाल किया जाता है जिसका नाम है Tor Browser जिसको बनाने का एक मात्र मकसद था कि ब्राउजर को अपनी पर्सनल जानकारी दिए बिना इंटरनेट का इसतेमाल किया जा सके। ये tor browser ऑनियन router का इस्तेमाल करता है। जहां पर vpn का जाल बिछा होता है। जब कोई tor browser का इस्तेमाल करता है तो वो इन अनेकों vpn से होता हुआ अपनी आखिरी डेस्टिनेशन तक पहुंचता है। इसके कारण यूज करने वाले का आईपी एड्रेस ट्रैक कर पाना आसान नहीं होता। और इसी वजह से tor browser से ब्राउजिंग करने पर उसके यूजर को ट्रैक नहीं किया जा सकता। मान लो अगर आप Tor browser के इस्तेमाल से google.com पर जाना चाहते हैं तो आपकी रिक्वेस्ट पहले vpn A पर जाएगी फिर B पर ऐसे ऐसे करते करते लास्ट vpn पर पहुंच जाने के बाद Google.com ओपन होगा। और अगर अब गूगल आपको वापिस ट्रैक करेगा तो पहले गूगल vpn z पर जाएगा लेकिन vpn z पर vpn y की जानकारी मिलेगी। और vpn y पर उसे किसी और vpn कि जानकारी मिलेगी। लेकिन इस जाल में यूजर का सही आईपी एड्रेस कभी नहीं मिलेगा। जिस तरह से हम आम ब्राउजर पर .com, .in,.org, .co.in का इस्तेमाल करते हैं किसी भी वेबसाइट को ओपन करने के लिए ठीक उसी तरह tor पर .onion का प्रयोग किया जाता है। ये onion वेबसाइट केवल tor browser के द्वारा ही ओपन कि जा सकती है। यानी ये onion website केवल tor के द्वारा इस्तेमाल के लिए ही बनाई गई है। इनको होस्ट करने वाली साइट्स और इनको यूज करने वाले यूजर भी अज्ञात होते हैं। इसके कारण कोन कब किस वेबसाइट को एक्सेस कर रहा है पता लगाना बहुत मुश्किल है। में एक बार फिर आपको कहना चाहता हूं कि ऐसी websites को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। safe और सुरक्षित रहो। अगर आपको ये हमारा आर्टिकल पसंद आया है तो नीचे करना ना भूलें और शेयर करना चाहें तो कर सकते हैं। धन्यवाद्!