ब्रह्मांड की सबसे बुद्धिमान सभ्यता । Intelligent civilization in the Universe
आज इन्सान ने चांद और मंगल पर अपनी पहुंच बना ली है। और इंसानों ने ब्रह्मांड में छिपी ग्लैक्सी को भी खोज लिया है। आज इंसानों के विमान सौरमंडल कि सीमाओं को तोड़कर interstaller स्पेस में पहुंच गए हैं। परन्तु इंसान के इतना विकसित होने के बाद भी कुछ सवाल हैं जिनका उतर अभी भी नहीं मिल पा रहा है। इंसान उनका जवाब पाने के लिए अभी भी भाग रहा है । क्या इस ब्रह्मांड में इंसान अकेला है या फिर इंसान से भी बुद्धिमान कोई Alien सभ्यता और मौजूद है हमारे इस ब्रह्मांड में। चलो आज इसी सब सवालों के जवाब के बारे मैं बात करेंगे इस आर्टिकल में।
लगभग 13.7 बिलियन साल पहले हमारा ब्रह्मांड एक छोटे से बिंदु में समाहित था। उस वक्त समय का कोई भी अस्तित्व
नहीं था। और घिर होता है उस छोटे से बिंदु में महाविस्फोट जिसको आज हम बिग बैंग के नाम से जानते हैं। उस विस्फोट से ही एक चीज अस्तित्व में आई जिसे हम आज तक नहीं समझ पाए हैं वो है समय। बिग बैंग के विस्फोट से ब्रह्मांड के जन्म के साथ ही समय कि सुरूआत होती है। जिसे bigning ऑफ टाइम बोलते हैं। समय के सुरूआत के तीन दिन बाद ब्रह्मांड में पहला ऑटोम एटम बनता है। ब्रह्मांड के जन्म के 180 मिलियन साल बाद परमाणु एक बड़े स्फीयर में कोलब्स होने लगते हैं। और जन्म होता है ब्रह्मांड में पहले तारे का और जैसे जैसे समय बीतता गया ब्रह्मांड में नए नए तारों का जन्म होता गया। और छोटी छोटी ग्लैक्सी बनती गई। छोटी छोटी ग्लैक्सी आपस में मर्ज होने लगी और बड़ी ग्लैक्सी बनने लगी। ब्रह्मांड के जन्म के 1 बिलियन साल बाद बड़ी ग्लैक्सियों के केंद्र में सुपर मैसिव black hole बनने लगे। ब्रह्मांड के जन्म से लेकर 9 बिलियन सालों तक ब्रह्मांड में अन गीनत तारे जन्म ले चुके थे। और खत्म भी हो चुके थे। उनमें से कुछ तारे तो ऐसे भी रहे होंगे जिनपर जीवन भी रहा होगा। और समय के साथ खत्म भी हो चुका होगा। लेकिन अभी भी ब्रह्मांड में नए तारे जन्म ले रहे थे। और अभी तक हमारे सूर्य का जन्म भी नहीं हुआ था। लेकिन बिग बैंग के 9.2 बिलियन साल बाद मतलब अभी से 4.5 बिलियन साल पहले एक नेबुला से जन्म होता है हमारे सौरमंडल सोलर सिस्टम का जिसमे हमारे सूर्य का जन्म होता है। और साथ ही जन्म होता है हमारे पृथ्वी सहित अन्य ग्रह का पृथ्वी के जन्म के बाद हमारी बेबी अर्थ से मंगल ग्रह के साइज का आकाशीय पिंड टकराता है। उस टक्कर से बहुत सा मलबा पृथ्वी से स्पेस में चला जाता है। जो पृथ्वी के चारों और एक रिंग के रूप में घूमने लगता है। धीरे धीरे उस रिंग का मलबा आपस में जुड़ने लगता है जिससे जन्म होता है हमारे चंद्रमा का। धीरे धीरे पृथ्वी ठंडी होती है। और इस से जटिल जमीन का निर्माण होने लगता है। पृथ्वी पर लाखों सालों से
कॉमेट्स और अस्ट्रॉयड की बारिश होती रही और कॉमेट्स अपने साथ पानी लाते रहे सुरूआत में पृथ्वी पर वायुमंडल नहीं था। परन्तु बाद में पिघले
हुए पदार्थों और ज्वालामुखियों से पानी की वास्प कार्बन डाइऑक्साइड मिथेन और अमोनिया गैस निकली जिससे पृथ्वी का सुरुआती वायुमंडल बना। लेकिन अभी भी जीवन जीने के लिए गैस नहीं थी। यानी ऑक्सीजन नहीं थी। लेकिन सूर्य की किरणों ने पानी के साथ रिएक्शन करके हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में चेंज कर दिया। इन सब घटनाओं के बाद होती है एक अनोखी घटना और वो थी जीवन की शुरुआत पृथ्वी ठंडी हुई तो भाप के कंडेश्चन से इस पर बहुत तेज़ बरसात आनी शुरू हो गई और बरसते बरसते इसने महासागर ही बना डाले अब पृथ्वी पर आदर्स सतिथिया बनने लगी थी। और समुंद्रो में कार्बन के जटिल अडुओ की वजह से जीवन की शुरुआत होने लगी। जीवन अब जटिल रूप धारण करने लगा। और पृथ्वी पर ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगी और ओजोन लेयर का भी निर्माण होने लगा था। जीवन अब विकसित होते हुए समुन्द्र से बाहर आया और अलग
अलग पर्जातियो में इवॉल्व होने लगा। जिनमे से डायनोसोर का भी विकास होने लगा फिर एक महाप्रलय में डायनोसोर का अंत हुआ और पृथ्वी पर एक फिर अलग अलग पर्जातियो में जीवन का विकास हुआ अब बारी थी मेमेल्स की ओर मेमेल्स से विकसित होकर हम इंसान बने और इस ग्रह की सबसे बुद्धिमान पर्जाती। और आज उसी बुद्धिमत्ता के दम पर इंसान चांद और मंगल ग्रह तक पहुंच गया है। लेकिन अभी भी इंसान एक ऐसे सवाल कि खोज मैं है जिसका आज तक जवाब नहीं मिल पाया है। अभी भी उस सवाल के जवाब ढूंढने में खोज जारी है। और ये सवाल है क्या इस ब्रह्मांड में इन्सान अकेला ही है या फिर इन्सान से भी समझदार Alien सभ्यता भी मौजूद है हमारे यूनिवर्स में। अगर है तो वो हमसे अब तक क्यों नहीं मिली। आखिर कहां मौजूद है इस ब्रह्मांड में Alien या फिर पृथ्वी से अलग कोई ऐसा ग्रह रहा है जिस पर जीवन व्यापन हुआ हो। जैसे कि हम सब जानते हैं कि हमारे सौरमंडल के जन्म के सुरुआती दौर में जब प्लैनेट जन्म ले रहे थे तब ये अपने सुरूआती समय में बहुत गर्म थे और कई सालों तक ग्रह ठन्डे होते रहे। उसी समय पृथ्वी कि तरह मंगल ग्रह भी ठंडा हो रहा था। लेकिन पृथ्वी की अपेक्षा मंगल ग्रह पर आदर्श परिस्थितियां सबसे पहले बनी। क्योंकि मंगल ग्रह पृथ्वी की अपेक्षा सूर्य से दूर है और पृथ्वी से छोटा भी। इसके बनने के 30 करोड़ साल बाद भी पृथ्वी एक आग के गोले कि तरह जल रही थी। वहीं मंगल ग्रह पर आदर्श परिस्थितियां बन चुकी थी उस समय इसका मतलब पानी का तरल रूप हो गया था। जीवन पनपने के लिए पानी का आदर्श परिस्थितियां में होना वो होता है जो पानी ना तो गैस रूप में होता है और ना ही बर्फ के रूप में और जब पृथ्वी आग के गोले कि तरह जल रही थी तब मंगल ग्रह पर पानी तरल रूप में आ चुका था। मंगल ग्रह पर किए गए मिशनों से पता चला है कि इसकी सतह पर पानी की नदियां हुआ करती थी। वैज्ञानिक मानते हैं कि मंगल ग्रह के सगरों में छोटे छोटे बैक्टीरिया जन्म लगे थे। मंगल ग्रह पर जीवन पनप ही रहा था और जटिल बनने की ओर बढ़ रहा था। लेकिन तभी मंगल ग्रह से एक एस्ट्रॉयड टकरा गया जिसने मंगल ग्रह के नॉर्थ भाग को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। मंगल ग्रह पर इस टकर के बाद पनप रहा जीवन खत्म हो गया। पृथ्वी पर जब चांद का जन्म हुआ था उस समय मंगल पर जीवन जन्म लेकर खत्म हो चुका था। 2004 में नासा के रोवर ने मंगल की कुछ तस्वीरें ली जिनमे गोल पत्थरो को देखा जा सकता है।
आप को बता दे कि ऐसे गोल पत्थर हजारों सालों तक पानी के बहने से बनते हैं। जो इस बात की पुष्टि करता है कि मंगल ग्रह पर नदियां और सागर बहा करते थे। साथ में मंगल की इन तस्वीरों में दररो और नदियों कि सरचनाओं को भी देखा जा सकता है। मंगल ग्रह पर उस अस्ट्रॉयड के टकराने के बाद फिर से परिस्थितियां अनुकूल होने लगी और इस पर जीवन फिर से पनपने लगा। मंगल पर परिस्थितियां तो बनी लेकिन वातावरण बेकाबू होने लगा था। क्योंकि मंगल का सूर्य से ज्यादा दूर होने के कारण वहां पानी जमने लगा और वर्सा चक्र खत्म होने लगा। मंगल पर इन्हीं बदलाव की वजह से जीवन जटिल होने से पहले ही खत्म हो गया। मंगल ग्रह पर जीवन को जटिल होने के लिए इतना वक्त नहीं मिल पाया जिस से वो पृथ्वी की तरह जीवन पनप सके। लेकिन जब मंगल ग्रह जब पूरी तरह से जम गया उसके बाद पृथ्वी पर परिस्थितियां बनने लगी थी। पृथ्वी ना तो सूर्य से ज्यादा दूर है और ना ही ज्यादा करीब। पृथ्वी का इस जॉन में होने की वजह से इस पर परिस्थितियां हमेशा बनी रही जो जीवन के लिए व्यापक थी। और आज हम पृथ्वी के बाहर दूसरे ग्रहों पर जीवन कि खोज कर रहे हैं। लेकिन इन्सान को आज तक पर ग्रही जीवो के कोई सबूत हासिल नहीं हुए। लेकिन वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हमारे सोलर सिस्टम के ही जुपिटर या चांद यूरोपा पर Alien लाइफ हो सकती है। कारण है कि यूरोपा पर बर्फ की 21 किलोमीटर चादर मौजूद है। और इस जमीं बर्फ के नीचे पानी तरल रूप में मौजूद है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरोपा पर बर्फ के नीचे पानी में जीवन पनप रहा होगा वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि वहां पर जीवन किसी बैक्टीरिया के रूप में नहीं बल्की विशालकाय समुंद्री जीवो के रूप में होगा। क्योंकि यूरोपा पर जीवन विकसित होने के लिए इतना वक्त तो मिल ही गया है कि वो बैक्टीरिया से विकसित होता हुआ जटिल जीव बन चुका हो वैज्ञानिकों का ऐसा इसलिए मानना है क्योंकि पृथ्वी पर भी बर्फ कि
मोती चादर के नीचे मौजूद पानी में जीव पाए जाते हैं। हमारे सौरमंडल में मंगल ग्रह और जुपिटर के बीच मौजूद अस्ट्रॉयड बेल्ट में एक प्लैनेट मौजूद है जिसका नाम है सिरेश वैज्ञानिकों के अनुसार इस बोने ग्रह पर भी बर्फ की चादर मौजूद है जिसके नीचे पानी तरल रूप में मौजूद हैI उनका अनुमान है की इस ग्रह पर बर्फ के नीचे पानी में भी जीवन होगा। अब सवाल ये है कि हमारे सौरमंडल में ही पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर
भी जीवन के होने की संभावनाएं हैं तो हम अभी तक किसी Alien सभ्यता से क्यों नहीं मिले। वैज्ञानिकों के मुताबिक हमारी मिल्की ग्लैक्सी में भी लगभग 50 करोड़ प्लैनेट तो ऐसे हैं जो पृथ्वी की तरह मौजूद है।
हमारी ग्लैक्सी की उम्र पृथ्वी की उम्र से तीन गुना ज्यादा है तो ऐसी स्थिति में कुछ ऐसे भी ग्रह रहे होंगे जिनपर पृथ्वी के जन्म लेने से पहले जीवन काफी आधुनिक हो चुका हो जब हम इतने कम समय में इतने आधुनिक हो गए हैं। तो जिन ग्रहों पर Alien सभ्यता पृथ्वी के जन्म लेने से पहले ही इतनी विकसित हो चुकी थी तो आज वो कितने आधुनिक हो चुके होंगे। इतने समय में वो इतने तो एडवांस हो ही चुके होंगे कि वो अलग अलग ग्रहों पर ट्रैवल कर पाएं और दूसरी Alien सभ्यताओं को खोज पाएं। जिस तरीके से हम अपनी टेक्नोलॉजी से दूसरी Alien सभ्यताओं को खोजने कि कोशिश कर रहे हैं। तो जो सभ्यता हमसे अरबों साल पहले ही विकसित हो चुकी होगी तो उनकी टेक्नोलॉजी कितनी एडवांस होगी। लेकिन अब सवाल ये है कि अगर कोई ऐसी सभ्यता मौजूद है तो कभी आज तक उन्होंने हमें क्यों नहीं ढूंढा। और क्यों हम आज भी अकेले हैं। हम ये जाने की हम क्यों अकेले हैं उससे पहले जान ले कि को सभ्यता हमसे अरबों साल पहले ही विकसित हो गई होगी तो आज उनकी टेक्नोलॉजी किसी होगी। वैज्ञानिक किसी भी सिविलाइजेशन को उनके विकास के आधार पर उनके तीन भागों में बांटते हैं। टाइप 1 सिविलाइजेशन टाइप 2 सिविलाइजेशन टाइप 3 सिविलाइजेशन
टाइप 1 सिविलाइजेशन
ये वो सभ्यता होती है जो अपने गृह कि सम्पूर्ण ऊर्जा को इस्तेमाल कर पाए हम अभी इस स्केल में .73 नंबर पर हैं। और हम धीरे धीरे टाइप 1 सिविलाइजेशन बनने की ओर बढ रहे हैं। जिस दिन हम पृथ्वी पर मोजूद ऊर्जा के सारे स्रोतों का उपयोग करने लग जाएंगे उस दिन हम टाइप 1 सिविलाइजेशन बन जाएंगे। लेकिन अभी हमे टाइप 1 सिविलाइजेशन बनने के लिए काफी सालों का वक्त लगेगा। इसके बाद आती है टाइप 2 सिविलाइजेशन
टाइप 2 सिविलाइजेशन
जो सभ्यता अपने ग्रह के साथ साथ अपने तारे कि सम्पूर्ण ऊर्जा को इस्तेमाल करने लग जाए उसको टाइप 2 सिविलाइजेशन कहते हैं। ये साइंस फिक्शन जरूर लगता है लेकिन इस तरह की सभ्यता अपने तारे की चारों ओर एक डाई सन सफेयर बनाकर उसकी ऊर्जा को इस्तेमाल करता है वैज्ञानिकों ने हमसे 1470 प्रकाश वर्ष दूर एक तारा खोजा है। जिसे Tabby's Star बोलते हैं। वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि इस तारे के चारों ओर Dyson sphere बना हुआ है। इसके बाद आती है तीसरी सिविलाइजेशन।
टाइप 3 सिविलाइजेशन
ये वो सिविलाइजेशन है जो अपनी सम्पूर्ण ग्लैक्सी की ऊर्जा को इस्तेमाल कर पाए और पूरी ग्लैक्सी को कन्ट्रोल कर पाए जो सभ्यता हमसे अरबों साल पहले ही विकसित हो चुकी है वो टाइप 2 या टाइप 3 सिविलाइजेशन तो बन ही चुकी होंगी। लेकिन वो आखिर है कहां। क्यों हम आज भी अकेले हैं। साल 1950 में यही सवाल Enrico Fermi ने भी उठाया था। जिसे हम Fermi Paradox के नाम से भी जानते हैं। तो चलो जानते हैं कि हम अभी तक Alieno से क्यों नहीं मिल पाए।
रीजन 1
•हो सकता है हमारी टेक्नोलॉजी इतनी अच्छी नहीं है कि हम पर ग्रहियो से संपर्क बना पाएं ।
रीजन 2
• हो सकता है कि हमारे आस पास के किसी सोलर सिस्टम में कोई Alien सभ्यता हो। लेकिन वो बुद्धिमान ना हों। जैसे कि हम जानते हैं कि हमारी धरती पर करोड़ों पर्जातिया हैं। अगर कोई बाहरी सभ्यता हमसे सम्पर्क बनाने की कोशिश करे तो पृथ्वी पर मौजूद करोड़ों प्रजातियों में केवल हम इन्सान ही एक ऐसी प्रजाति है जो Alien से संपर्क बनाने में सक्षम हैं। ऐसा भी हो सकता है कि हमने Alien की खोज में अभी तक जितने भी सिग्नल भेजे हैं। तो सायद एशा हो कि उन ग्रहों पर कोई बुद्धिमान सभ्यता मौजूद ना हो जो हमारे भेजे गए सिग्नल का जवाब दे पाए क्या हो अगर हमारे सिग्नल ऐसे ग्रहों पर गए हों केवल जानवर ही मौजूद हो।
रीजन 3
• हो सकता है कि हमारी पृथ्वी के जन्म से पहले ही कुछ बुद्धिमान सभ्यता विकसित हो चुकी हों लेकिन उनके ग्रहों पर किसी परलय की वजह से खत्म हो चुके हों। और जिन भी ग्रहों पर कभी जीवन रहा होगा वो आज सुनसान पड़े हों।
रीजन 4
• हो सकता है हमारे जैसी Alien सभ्यता किसी दूसरी ग्लैक्सी में मौजूद हो। लेकिन ब्रह्मांड के फैलने की वजह से सभी ग्लैक्सी एक दूसरे से दूर जा रही हैं, हो सकता है कि हम कभी उनसे सम्पर्क ही ना कर पाएं।
रीजन 5
• हो सकता है कि कोई टाइप 2 टाइप 3 सिविलाइजेशन हों और वो हमसे दूर विकसित होते हुए देख भी रहे हों। और हम पर नजर लगाए हो। लेकिन हमारी टेक्नोलॉजी अभी इस काबिल नहीं हुई है कि हमे उनका पता लग सके। क्योंकि हमसे मिलकर उन्हें कोई फायदा नहीं होने वाला।
रीजन 6
• ग्रेट फिल्टर इस थेओरी के अनुसार परग्रहियों तक कुछ हद तक ही विकाश कर । पाती है उसके बाद वो सभ्यता पूरी तरह से खत्म हो जाती है। जो भी एडवांस सिविलाइजेशन होती हैं टाइप 2 से टाइप 2 या टाइप 3 बनने की ओर अग्रसर होती है वो या तो किसी प्राकृतिक आपदा से या फिर मैन मेड आपदा से खत्म हो जाते हैं। मतलब ये है कि कोई भी सभ्यता ग्रेट फिल्टर को पार करके और ज्यादा एडवांस नहीं हो सकती। आज हम टाइप 1 बनने की ओर जा रहे हैं। हमने कुछ तरिकी क्या पा ली कि हम इतने भोखला गए के हमने 2 वर्ल्ड वार ही लड़ लिए। आज भी हम तीसरे वर्ल्ड वार लड़ने की तयारी में बैठे हैं। ग्रेट फिल्टर थियोरी के अनुसार जो सभ्यता जितनी ज्यादा एडवांस होती जाती है वो उतने ही अपने अंत कि तरफ बढ़ती जाती है। हो सकता है इस थेओरी के अनुसार ब्रह्मांड में एडवांस सभ्यताएं खत्म हो गई हो। ये भी हो सकता है इस वजह से हम अभी तक किसी Alien सभ्यता से ना मिल पाए हों। एक सवाल और सामने आता है कि क्या ग्रेट फिल्टर कि वजह से कोई भी सभ्यता एडवांस नहीं हो पाती। तो क्या कभी पृथ्वी पर कभी ग्रेट फिल्टर आया होगा। तो हम पीछे मुड़कर देखे तो हमारी धरती ग्रेट फिल्टर से गुजर गई है। क्योंकि अतीत की सभ्यताओं की छाप हम आज भी देख पाते हैं। जैसे मिस्त्र की सभ्यता आज भी मिस्त्र के पिरामिड हमारे लिए एक रहस्य ही है। कि ऐसे भारी भरकम पिरामिडों को केसे और क्यों इजात किया गया था क्या कारण रहा होगा। अगर वो लोग इतने एडवांस थे जिन्होंने पिरामिड बनाए थे तो वो सभ्यता खा खो गई। क्या वो भी ग्रेट फिल्टर का शिकार हो गए।
रीजन 7 जू हाइपोथईएसिस
इस थेओरी के मुताबिक हम Alien के एक्सप्रिमंट का हिस्सा हैं। जैसे हम जू में अलग अलग जानवरों को कैद करके रखते हैं। हम उनके लिए हर उस चीज का इंतजाम करते हैं जिनकी उनको जरूरत होती है। और हम उनको बाहर से ही विकसित होते देख रहे होते हैं जिससे उनको कोई डिस्टरबेंस ना हो हो सकता है कि वो भी हमे अपने ग्रह से देख रहे हों। कि केसे हम अपने आप को डेवलप करते हैं केसे हम अपने अस्तित्व कि खोज करते हैं। हो सकता है वो कभी कभी हमारे बीच आते भी हों। और उनकी टेक्नोलॉजी बहुत ज्यादा एडवांस है कि हुए पता ना चलता हो। अगर हम इस चीज का हिस्सा हैं तो वो हम से कब मिलेंगे। या नहीं मिलेंगे। क्या हो अगर इस ब्रह्मांड में केवल धरती पर ही जीवन मौजूद हो। इस रहस्यों को समझने केलिए सवाल तो बहुत सारे हैं। पर उन सब के जवाब हमारे पास अभी मौजूद नहीं है। क्या पता आगे चलकर इन सब सवालों के जवाब हमें मिल भी जाएं। अगर ये आर्टिकल पसंद आया हो तो नीचे कॉमेंट मैं अपना सुझाव जरूर दें।हमे आपके सुझाव का इन्तजार रहेगा । धन्यवाद!
इस थेओरी के मुताबिक हम Alien के एक्सप्रिमंट का हिस्सा हैं। जैसे हम जू में अलग अलग जानवरों को कैद करके रखते हैं। हम उनके लिए हर उस चीज का इंतजाम करते हैं जिनकी उनको जरूरत होती है। और हम उनको बाहर से ही विकसित होते देख रहे होते हैं जिससे उनको कोई डिस्टरबेंस ना हो हो सकता है कि वो भी हमे अपने ग्रह से देख रहे हों। कि केसे हम अपने आप को डेवलप करते हैं केसे हम अपने अस्तित्व कि खोज करते हैं। हो सकता है वो कभी कभी हमारे बीच आते भी हों। और उनकी टेक्नोलॉजी बहुत ज्यादा एडवांस है कि हुए पता ना चलता हो। अगर हम इस चीज का हिस्सा हैं तो वो हम से कब मिलेंगे। या नहीं मिलेंगे। क्या हो अगर इस ब्रह्मांड में केवल धरती पर ही जीवन मौजूद हो। इस रहस्यों को समझने केलिए सवाल तो बहुत सारे हैं। पर उन सब के जवाब हमारे पास अभी मौजूद नहीं है। क्या पता आगे चलकर इन सब सवालों के जवाब हमें मिल भी जाएं। अगर ये आर्टिकल पसंद आया हो तो नीचे कॉमेंट मैं अपना सुझाव जरूर दें।हमे आपके सुझाव का इन्तजार रहेगा । धन्यवाद!