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दुनियां का इतिहास क्या है?

 

अगर आप जानना चाहते हैं कि बिग. बैंग से लेकर आज तक पृथ्वी पर क्या क्या घटना घटित हुई है, तो चलो आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से कि केसे  इंसानों ने पृथ्वी पर  जन्म लिया और केसे मानव स्टोनहेंज से चलकर stillengine तक जा पहुंचा और किस प्रकार से शहरो और सभ्यताओं  का  निर्माण हुआ। 


दुनियां का इतिहास

तो चलो जानते हैं इन्हीं सब चीजों के  बारे में।  ये इतना सब होने में 1 हजार 370 करोड़ साल लग गए थे। आज हम जिस इतिहास की बात करने वाले हैं उसका निर्माण बड़े ही रहस्यमई तरीके से हुआ था। कारण  सायद हम ना जान सकें परन्तु अचानक हमारे

ब्रह्माण्ड में एक बहुत बड़ा विस्फोट हो गया सेकंड के एक बहुत छोटे  हिसे मैं, वो चीज एक परमाणु से भी बहुत अधिक छोटी थी  और वो अचानक एक तरामंडल से भी ज्यादा बड़ी हो गई वो एक ताकतवर ऊर्जा थी। जिसका हम आज बिग-बैंग के नाम से जानते हैं। बिग - बेंग ने इतनी मात्रा में ऊर्जा प्रदान कर दी जो आज तक हमारे ब्रह्माण्ड में मौजूद है। उसी ऊर्जा से आज हर वो तारा रोशन है हर जीव को ताकत मिलती है हम जितनी भी ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं वो उसी वक्त की देन है। जो उस वक्त कायनात बनी थी। गाड़ी में जब पेट्रोल डालते हैं तो उसी ऊर्जा का इस्तेमाल होता हैजो उस वक्त बिग बेंग के द्वारा बनी थी। हम ब्रह्माण्ड की ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं।

  


Big Bang



ब्रह्माण्ड में हमारे आस पास जितना भी सब कुछ है वो हाइड्रोजन की बदौलत है। हाइड्रोजन में बहुत गर्मी और दबाव होता है, उससे कई किस्म के परमाणुओं को बनाया जा सकता है परमाणु पूरे ब्रह्माण्ड में फेल गए परन्तु वो एक समान नहीं फेले क्योंकि ज्यादा परमाणुओं वाले छोटे पॉकेट्स में सुरुआती ब्रह्माण्ड को बनाने वाले ग्रेविटी ने अपनी ताकत दिखानी शुरू की पहले तारामंडल बनने लगे और ब्रह्माण्ड के राज अब सामने आने लगे पूरे इतिहास में जब भी कहीं एक जगह ऊर्जा और तत्व जमा हुए वहां जटिल चीजें होने लगी। पूरे ब्रह्माण्ड में कुछ ऐसी जगह थी जहां पर क्रिएटिविटी, साइंस, आर्टअब नजर आने लगे थे   बहुत सी नई संस्कृतियां भी बनी बहुत सारी चीजे एक दूसरे से interact कर रही थी। बिग बैंग के 30 करोड़ साल बाद भी नए बन रहे तारामंडलों के अंदर ग्रैविटी लगातार गैस और धूल के बादलों को दबा रही थी जिससे दबाव और गर्मी बहुत तेजी से बढ़ने लगी। जब तापमान 17 लाख सेल्सियस पहुंच गया तो हाइड्रोजन के अणु आपस मैं टकराने लगे जिससे एक नया तत्व बना हीलियम और उससे निकलने लगे ऊर्जा के तेज उबाल और पहले तारे का जन्म हुआ। अचानक तेज रोशनी की चमक आने लगी जिससे निकली ऊर्जा ब्रह्माण्ड में मिलने लगी पूरा ब्रह्माण्ड रोशन हो गया परन्तु इस सुरुआती ब्रह्माण्ड में अभी किसी चीज़ की कमी थी तारे तो अन गिनत थे पर ग्रह अभी एक भी नहीं था। ग्रह बनाने और फिर इन्सान कि सरंचना करने के लिए अब अगला कदम रखना था। जिस वजह से आज तक का इतिहास बन पाया। इसके लिए ब्रह्माण्ड के पास हाइड्रोजन और हिलियम गैस ही थी। हम भले ही सूरज जैसे तारे को प्रकाश का स्रोत माने पर उसके अंदर एक बहुत बड़ी घटना हो रही थी। वो हाइड्रोजन को हिलियम से और हिलियम को लिथियम से मिलाकर 25 ऐसे आम तत्व बना रहे थे जो जीवन के लिए बहुत जरूरी थेजिनमें कार्बन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और आयान जैसे भी सामिल थे मतलब 1200 करोड़ साल पहले ही तारे वो तत्व बनाने लगे थे  जिनसे सहरों के लिए इमारतें और इन्सानों के बनाए बेहतरीन स्मार्ग बन सकते थे। लेकिन स्टेच्यु ऑफ लिबर्टी देखने से पता चलता है कि अगली ब्रह्माण्ड के सामने चुनौती क्या थी। इस मूर्ति का फ्रेम तो लोहे से बना है लेकिन इसकी खाल जिस चीज से बनी है वो इतनी बाहरी थी कि तारो में नहीं बन सकती थी। कुछ तत्व ऐसे होते हैंजिन्हें अलग तरीके से बनाना पड़ता है।  तारो के पास इस काम को अंजाम देने के लिए ऊर्जा नहीं थी।  जब तारो में इतनी ऊर्जा नहीं थी तो उनको विस्फोट कर दिया  जिनको हम सुपर नोवा के नाम से जानते हैं। और ये ब्रह्माण्ड में बिग बैंग के बाद सबसे बड़े विस्फोट थे उनसे जो ऊर्जा निकली तो ज्यादा बारही तत्वों को एक दूसरे में मिलाना सुरु किया विस्फोट के साथ वो तारे तो खत्म हो गए लेकिन उनसे बन गया यूरेनियमसोना, और हमारी दुनिया में मौजूद दूसरे तत्व जिनमें से एक तांबा भी था। सुपर नोवा की वजह से ही आज हम हैं हमारे ब्लड में आयन है हमारे शरीर में आज भी सुपरनोवा के अवशेष मौजूद है। हमारे शरीर में घूम रहे हैं। तांबा और टिन ब्रॉन्ज सुपर नोवा के बिना ब्रॉन्ज भी नहीं होता आप मेडिकल से मल्टी विटामिन की दवा खरीदिए आपको उसमे तांबा जिक स्लेनियम  हर वो तत्व मिलेंगे जो सुपरनोवा के बिना बनना नामुमकिन था। तारो से बने वही तत्व पृथ्वी पर जीवन के लिए बीज बने उनसे ही मानव इतिहास की संरचना हुई। परन्तु सफर तो अभी सुरु ही हुआ था। इससे पहले कि जीव बनते ब्रह्माण्ड को हमारे लिए एक घर भी बनाना था। सही घर बनाने के लिए हर एक जरूरी चीजों हमे जमा करनी पड़ती है तब जाके हम एक घर बना पाते हैं। जब हम पृथ्वी के सुरुआती दिनों की बात करे जब ये बनी थी तो उस वक्त अब जैसी बिल्कुल नहीं थी। हर जगह लावा ही लावा था। कही कही  ज्वाला मुखी कि काली चटाने दिख रही थी  पिघली हुई चटानों के तत्व इधर उधर बिखरे हुए थे। अब किसी को उन्हें सही कर्म में लगाना था। अब ये काम किया ग्रैविटी ने हल्की चीजें सतह को और गई और एक सख्त पपड़ी बन गई बाहरी चीजें केन्द्र की ओर जमा हो गई और उन्होंने पिघले हुए लोहे और निकेल कि एक परत बना दी अब वो पिघले हुए धातु का केन्द्र मैगनेटिक फील्ड बना रहा था। जो अंतरिक्ष तक गया एक फोर्स फील्ड बनकर हमारे होने वाले घर को सूरज के खतरनाक तत्वों से बचाने वाला था। और जल्द ही इस मैगनेटिक फील्ड ने जीवन को बढ़ने का मोका दिया,और बाद में उन खोज करने वालो के लिए एक मददगार बना जिन्होंने दुनिया के दोनों हिस्सो को जोड़ा

लेकिन इस सब के लिए पृथ्वी को एक साथी कि जरूरत थी।


4. 5 बिलियन साल पहले


4.5
बिलियन साल पहले मंगल गरह के बराबर का एक पिंड करीब करीब 40 हजार किलोमीटर / घंटे की रफ्तार से पृथ्वी से टकरा गया। पृथ्वी पर जीवन के विकास के लिए मौसम का अनुकूल होना बहुत जरूरी है। और पृथ्वी का अपनी धुरी पर थोड़ा झुका होना भी पृथ्वी पर जीवन बरकरार रखने के लिए बहुत जरूरी है। चांद की ग्रैविटी की वजह से पृथ्वी के घूमने की रफ्तार भी कम हो गई। जिससे हमारे दिन अब 6 घंटे की वजाए 24 घंटे के होने लगे।



4.4 बिलियन साल पहले


440 करोड़ साल पहले अब पृथ्वी पर इतनी गर्मी थी कि यहां पानी रह ही नहीं सकता था। लेकिन वायुमंडल में पानी की भाप थी। अब चुनौती ये थी कि उसे आसमान से धरती पर केसे लाया जाए। जहां पर भी जीवन हो वहां पर थोड़ी बरसात का होना भी जरूरी था। कई लाख साल बाद जब पृथ्वी ठंडी हुई तब बारिश होने लगी जिससे तालाब झिले और फिर महासागर बने।


3.8 बिलियन साल पहले


380 करोड़ साल पहले हमारी पृथ्वी के पास एक चांद था एक महासागर था लेकिन वो ऐसा नहीं था जैसा हम आज देख रहे हैं। इंसान के इतिहास का मंच बनने के लिए पृथ्वी को ऑक्सीजन से भरा वायुमंडल और ऐसे उपजाऊ महादेश चाहिए थे जहां जिन्दगियां जी जा सके। हमारे महासागरों के सतह के नीचे एक नई क्रान्ति हो रही थी। छह मामुली से तत्व जिनमें से एक बिग बैंग से निकला हाइड्रोजन तारो से बना ऑक्सीजन कार्बन और नाइट्रोजन इन सब ने मिलकर जीवो  की संरचना सुरु कर दी। और हमारी भी। जिनमें से सबसे खूबसूरत था DNA उसके छलनों के नीचे छिपे थे जीवन के कोड। हमारी धरती के बनने के 7 लाख साल बाद जीवन भी सुरु हो गया।

इन्सान का शरीर छोटे छोटे बैक्टीरिया से बना है। इन्सान आज ये सोच रहा है कि ये दुनिया हम चला रहे हैं। लेकिन इन्सान इस दुनिया में बहुत बाद में आया है। इन्सान के शरीर के अंदर बैक्टीरिया एक पूरी फौज है। असल में हमारे शरीर में इतने बैक्टीरिया हैं जितने दुनिया में इन्सान हैं। कई करोड़ सालों तक इस तरह के जीवाणुओं का ही इस धरती पर राज था। नवजात ब्रह्माण्ड कि तरह सुरुआती जीव भी काफी छोटे और मामुली थे। परन्तु वो संभावनाओं से भरे थे। उसने किस तरह से नए नए रूप धारण किए।

हमे ये तो पता चला कि आज जो भी ऊर्जा है वो बिग बैंग

की देन है। हर जीव को जीने के लिए अपने लिए ऊर्जा 

चाहिए थी।

 हम उसको जितना शादते उतना ही उसका इस्तेमाल कर

पाते और उतने ही जटिल बन जाते बिग बैंग से निकली

हमे सारी ऊर्जा सूर्य से मिली थी।


250 करोड़ साल पहले


बैक्टीरिया ने ये महसूस किया इस ऊर्जा का उपयोग जीने

के लिए केसे किया जा सकता है। इस  प्रयोग में उन्होंने

दुनिया के इतिहास का सबसे कीमती कचरा भी पैदा किया

ऑक्सीजन जल्द ही ऑक्सीजन ने हमारी दुनिया को नए 

सिरे से शुरू किया लेकिन उससे पहले एक ओर जरूरी काम 

करना था सुरुआती महासागरों में आयन भरा था। ये तो

हम सब जानते हैं जब लोहे से ऑक्सीजन मिलती है तब 

क्या होता है। जंग लगा लोहा महासागरों के तल पर जमा

होने लगा करोड़ों साल बाद ये विशाल ढेर बाहर आया तो

दुनिया के लिए लोहे और स्टील का स्त्रोत बन गया। लोहे

के उसी ढेर कि वजह से बाद मैं उद्योगिक क्रांति शुरू हुई।

  जब महासागरों में जंग लगाने के लिए लोहा खत्म हो 

गया तो बैक्टीरिया एक दूसरे काम में लग गए। उन्होंने 

इतना ऑक्सीजन बनाया महासागर भर गए अब वो 

वायुमंडल में जाने लगी उसके बाद बैक्टीरिया ने 

ऑक्सीजन की मदद से जीना सीख लिया था।

 जो सांस आज हम के रहे हैं उसका इतिहास 250 करोड़

साल पुराना है। ऑक्सीजन ने अब धरती पर कहानी बदल

दी थी। इस नई ऊर्जा के साथ जीवो ने जो किया वो कहानी

आज तक आती है। अगले 200 करोड़ साल में जीवन

और जटिल होने वाला था। आसमान अब नीला हो गया 

था और आसमान कि वजह से अब

 महासागर भी नीले नजर आने लगे। धरती काफी हद

वेसी लगने लगी थी जो हम आज देख रहे हैं।

550 मिलियन साल बाद


55
करोड़ साल पहले जब पृथ्वी पर ऑक्सीजन का लेवल

शून्य से 13%  तक पहुंच गया था। 3 करोड़ साल के इस

काल में जानवरों के सबसे ज्यादा और सबसे अहम 

समूह पैदा हुए। 50 करोड़ साल पहले समुन्द्र में पहली कांटे 

वाली मछली पैदा हुई। ये मछलियां हमारी पूर्वज हैं। हालांकी 

देखने में हमारे जैसी नहीं लगती। लेकिन इनमें ऐसे अंग

थे, जिससे हमारे शरीर के अंग बने जिनमें रीढ़ की हड्डी,  

दांत और जबड़े वाला मुंह सामिल था। हमे इन मछलियों

 सेबहुत कुछ मिला है। सारे जीव जो रीढ़ की हड्डियों के 

साथ हैं वो मछलियों के  बॉडी प्लान पर ही बने हैं। पृथ्वी 

के पहले 400 करोड़ साल में पोधे और समुद्री जीवों तक ही

सीमित था। अब ये सब बदल रहा था। ऑक्सीजन के साथ 

ही ओजोन लेयर बना जो हमे सूर्य के खतरनाक रेडिएशन

से बचाता है। फिर वो दिन भी गया जब इंसानों ने पृथ्वी

पर अपना हक जमा लिया लेकिन इससे पहले हम ऐसा 

कर पाते हमारे पूर्वजों को पानी से भी रिश्ता तोड़ना था

स्वांस का। आज के मेंडको की तरह जो जली जैसे अंडे 

देते थे वो जमीन पर सुख जाते थे। लेकिन कुछ 

 amphibians ने इस समस्या का हल ढूंढ लिया वो ऐसे 

अंडे देने लगे जिसके ऊपर का हिस्सा अंदर की नमी को 

बचाए रखता था। इस प्रकार से हम महासागरों से जमीन 

पर गए। और  amphibians  से रेप्टाइल्स बने।


300 मिलियन साल पहले


30
करोड़ साल पहले जीवन विशाल हरे भरे दलदल्लो में

पल रहा था, लेकिन धरती अब एक ओर नया खेल रच 

रही थी। अगर कोई पोधा गिर जाता तो वो वहीं दफन हो

जाता था।बिग बैंग से जो ऊर्जा पैदा हुई थी वो पोधो के 

जरिए जमीन के नीचे तक जाने लगी थी। और कोयला

बनने लगा था। ये आने वाले करोड़ों साल बाद इन्सानों के

लिए बेस्किमती तोहफा साबित होने वाला था।


250 मिलियन साल पहले


25
करोड़ साल पहले एक तबाही आई और ये पृथ्वी के सुरुआती 

दिनों के बाद ज्वाला मुखी का बहुत बड़ा कहर था। वायुमंडल

में कार्बन डाइऑक्साइड भर गई। और इसके बाद जीवो का

जो विकाश शुरू हुआ वो अब रुक गया था। पृथ्वी पर 70% 

पर्जातिया अब खत्म हो गई थी। धरती पर इस तरह के विनाश 

तो होते ही रहे हैं। पिछले 50 करोड़ साल में 5 बार ऐसी 

तबाही आई है। जिससे पृथ्वी पर अहम पर्जातिया खत्म 

हो गई। उसके बाद एक नई प्रजाति पैदा हुई

डायनासोर। 16 करोड़ साल तक डायनोसोर पृथ्वी पर राज करते

रहे। उसी दौर में पृथ्वी पर सख्त लकड़ी के जंगल बने।

और 400 करोड़ साल बाद चांद की ग्रैविटी की वजह से 24

घंटे का दिन होने लगा। डायनोसोर के सुरुआती कल मैं दुनिया

 भर की जमीन एक ही जगह जमा थी जिसे पैन्जेया कहते

थे। लेकिन अब वो अलग होने लगी थी।  अफ्रीका साउथ

अमेरिका से अलग हो गया और अंटार्टिका महासागर सामने 

आया और उससे बनी मानव इतिहास की सबसे मजबूत

सरहद वो सरहद जिसने नई और पुरानी दुनिया को अलग 

कर दिया। इस बात मैं कोई संदेह नहीं कि डायनोसोर और

 काल के सबसे बड़े जानवर triceratops थे। और कुछ जीव

उनके पैरों के आस पास घूम रहे थे।  लेकिन अभी बाजी

पलटने वाली थी। 6.5 करोड़ साल पहले 10 किलोमीटर चौड़ाई 

वाली चीज एस्टेरॉयड पृथ्वी से टकरा गया। धूल के बादलों

 ने सूरज को ढक लिया तापमान गिर गया पृथ्वी पर रहने

वाले जीव खत्म हो गए। और इस तरह से डायनोसोर भी

पृथ्वी से विलुप्त हो गए। इनका काल भी सायद यही तक

था।  और सायद वो हमे भी तोहफा दे गए अपनी मोत का 

तोहफा उनके खत्म होने से अन्य जीवो को पृथ्वी पर जीने

का मोका मिल गया। अगर डायनोसोर आज होते तो हमारा

धरती पर आना नामुमकिन था।  डायनोसोर के खत्म होने 

के कुछ साल बाद पहले वानर पैदा हुए। उसके बाद के वानर के

रूप में हम ही हैं। उनको सामने देखने वाली आंख मिली 

लचीले हाथ मिले हाथ में पांच उंगलियां थी। जिनसे वो किसी

चीज को पकड़ सकते थे। पांच करोड़ साल पहले हमारे 

पूर्वज उस ग्रह पर विकसित हो रहे थे जो गर्म हो रहा था। 

इतना गर्म कि धुरवो पर भी जंगल थे। उसके बाद महादेश 

यान कॉन्टिनेंट्स अलग हुए अफ्रीका और अमेरिका ने अपना

वजूद ले लिया लेकिन नॉर्थ अफ्रीका यानी आज क Egypt  एक

 समुंद्र के नीचे था। उस समुंद्र के तल पर छोटे छोटे जीव रहते 

थे। नम्मुलाइट्स कैल्सियम और कार्बन से बने उनके खोल

 समुन्द्र के तल पर कई करोड़ साल तक जमा होते रहे उनसे

बने चुना पत्थर वहीं चुना पत्थर जिससे आज पिरामिड बने है.

 अगर आप इन पिरामिडों को ध्यान से देखे तो साफ पता 

चलता है कि 4 हजार साल पहले बनी ये इमारतेंअसल में 5

 करोड़ साल पुराने सीसेल से बनी है।10 मिलियन साल पहले
1
करोड़ साल पहले पृथ्वी ने वो रूप ले लिया था जो हम 

आज देख रहे हैं। कोलोराडो नदी ग्रैंड canyon बनाने लगी 

थी। हिमालय जैसी पर्वत मालाए खड़ी होने लगी थी। वो

मालाए इतनी ऊंची थी जिनसे मौसम का पैटर्न बदलने लगा।

इस वजह से पृथ्वी ठंडी होने लगी। पनामा का अब नॉर्थ 

अमेरिका और साउथ अमेरिका को जोड़ने लगा था। इसके

बाद अंटलाटिक और प्रशांत महासागर एक दूसरे के नजदीक 

गए तो महासागरों में उफ़ान गया और दुनिया 

आईसएज की ओर जाने लगी थी। जब पृथ्वी ठंडी होने लगी

थी तो हमारे वानर पूर्वज गर्म इलाकों में ही बने रहे। 


7  मिलियन साल पहले


अब हमारे वानर पूर्वज पेड़ो पर आराम से रह रहे थे 

लेकिन उनके आस पास इलाकों पर हमले होने लगे थे।

 ईस्ट अफ्रीका में घास के मैदानों ने हमारे वानर पूर्वजों के

 जंगल को पूरी तरह से ढक लिया था। वहा अब पेड़ कम 

होने लगे। इस वजह से  एक से दूसरे पेड़ों कि दूरियां 

ज्यादा होने लगी। अब वानरों को उसके मुताबिक ढलना

 पड़ा। और इस वजह से एक समस्या और पैदा हो गई थी

। एक पेड़ पर बहुत ज्यादा वानर रहने लगे थे तो इस 

बीच खाने की कमी आ गई। अब उनको एक जगह से

 दूसरी जगह जाना पड़ा। अब उस जगह के बीच थे घास 

के मैदान अब जो घास के मैदानों में जो चीज है वहीं 

उठाओ और वहीं खाओ यही एक रास्ता था। घास के

 मैदान उन वानरों के लिए अच्छा था जो दो पैरों पर 

चलते थे।


2.6 मिलियन साल पहले


प्रोटोहुमंस या हॉमिनेट्स जिस जिस दुनिया में वो घूम रहे

 थे वहां की पृथ्वी सिलिकॉन से भरी थी। करोड़ों साल 

पहले तारों के केंद्र में बना था। और सिलिकॉन धरती के

 केंद्र में दूसरा सबसे बड़ा तत्व था। उसकी बहुत बड़ी बात

 थी कि वो ऑक्सीजन के साथ मिलकर क्रिस्टल बनाता 

था। जिससे मजबूत पत्थर बनते थे। उस पत्थर को गढ़ते

 थे तो मजबूती के कारण टूटता नहीं था। धार धार किनारे

 वाले पत्थरों को हथौड़े  के रूप में काम में लेते थे। अब 

उनको एक मजबूत हथौड़ा भी मिल गया था। इस से वो 

अब बहुत सारे ऐसे काम कर सकता था पहले वो नहीं कर

 पा रहा था। सिलिकॉन से पहला टेक्नोलॉजिकल रवोलेशन 

सुरु हो गया था। और अब हम स्टोनहैंज में पहुंच गए थे।

 लाखो साल बाद हम उसकी मदद से हाथ से इस्तेमाल 

होने वाले ओजारों का उपयोग करने लगे और सिलिकॉन 

कि एक ओर रसायन खूबी ने उसे फिर से टेक्नोलॉजी के 

क्रम पर पहुंचा दिया। इन्सान बनने कि दिशा में हमारा 

अगला कदम हमारी पृथ्वी में छिपा एक बहुत गहरा राज

 था। पूरे यूनिवर्स में केवल पृथ्वी के पास ही वो सकती थी।

 जिससे यहां आग जल सकती है। दूसरे ग्रहों और चांद पर

 बिजली और सिर्फ लावा है। लेकिन धरती पर ही दो ऐसी 

चीजें है जिनसे आग जल सकती है।  एक तो है पर पोधों 

से मिलने वाला ईंधन दूसरी वायुमंडल में ऑक्सीजन जो

 आग की लपटों को भड़काती है। अगर यहां आग नहीं जल पाती तो आज भी हम भटकते ही रहते। हॉमोसेपिएन ने आग के आस पास ही दुनिया बसाई थी। 

हमारे पूर्वजों ने अब आग को काबू में रखना सीख लिया 

था। यही वो हुनर था जो हमे सुरूआत से जोड़ता है। सायद 

आप ये तो नहीं भूले होंगे कि बिग बैंग से कितनी ऊर्जा 

उत्पन्न हुई थी। और उस ऊर्जा में से अपना हिसा पाने के

 लिए किस तरह मुकाबला सुरु हुआ था। 

आग पर खाना पकाने का मतलब ये था कि खाने को 

पचाने के लिए हमे एक पेट मिल गया था। जो हमे ज्यादा

 केलरी और ज्यादा ताकत देता था। आग एक जबरदस्त 

टेक्नोलॉजी भी थी। जल्द ही हमने अब मिटटी से बर्तन

और धातु से हथियार पानी से भाप की शक्ति का प्रयोग 

करना सीख लिया था। अगर आग नहीं होती तो धातु नहीं 

होती रब्र नहीं होता इंटरनल कंजप्शन इंजन नहीं होता। 

ये वो टेक्नोलॉजी थी जो संभावनाओं के दरवाजे पूरी तरह

 से खोल दिए जो आग का प्रयोग करना जानते थे।


2 लाख साल पहले


आज के इन्सान ने अपना रूप ले लिया था। लेरिंग्स यानी 

आवाज की नली जो हमारे पूर्वजों में ऊपर थी अब नीचे 

आ गई थी। अब वो ज्यादा जटिल आवाज निकाल सकता

 था। अब हमारे पूर्वजों ने बोलना सुरु कर दिया था। 

पहली बार कोई बात एक से दूसरे इंसान तक जाने लगी 

थी। अब इन्सानों ने अब दूसरे जीवों के मुकाबले ज्यादा 

फायदा पा लिया था।  अब इन्सान ज्यादा समझदार हो 

गया था। 1 लाख साल पहले इन्सान कही आ जा सकता 

था हमारे पास फुर्तीले हाथ और प्राचीन हथियार थे। 

हम बात कर सकते थे आग को काबू में कर सकते थे।

 अब हम अपने अफ्रीकन घर को और बड़ा कर सकते थे।

 उस रास्ते पर चल सकते थे जो लाखो सालो से बना था। 

महादेश खिसके तो अफ्रीका और यूरेशिया जुड़ गए और

 उस से बनी एक बहुत बड़ी जमीन जिसका नाम था 

अफ्रो यूरेशिया वो 8.5 करोड़ स्क्वेयर किलोमीटर में फैली

 थी। सुरुआती इन्सानों के लिए इसका मतलब था कि वो

 आदि से ज्यादा दुनिया पैदल चल सकते थे। इन्सानों के 

लिए दूर दूर जाने से एक बहुत बड़ा बदलाव आया। हम 

उन वानरों में से एक  वानर हैं जो एक ही वक्त पर एक से

 ज्यादा महादेसो में रहते थे। इस वजह से हम उन चीजों 

से बचें हुए थे जिसकी वजह से वानरों के मुकाबले दूसरे

 बड़े स्तनधारी हमेशा के लिए खत्म हो गए। ये हमे खत्म

 होने से बचाता था।  जब दुनिया हमारे लिए रास्ते खोज 

रही थी तो एक ग्रह हमारे लिए मुसीबत बन गया। आइस

 ऐज सुरु हो गया। ग्रह अब पहले से ज्यादा कड़ी परीक्षा 

लेने लगे। 50 हजार साल पहले ग्लेसियर नॉर्थ पोल से 

आगे बढ़ने लगे थे। इसी वक्त दुनिया की खोज पर निकला

 इन्सान चिना ऑस्ट्रेलिया तक पहुंच गया था। 30 हजार

 साल पहले homosepien पहली बार यूरोप पहुंच गए। 

20 हजार साल पहले जब आईस अपने चरम सीमा पर थी

 तब इन्सान अपनी खोज में नॉर्थ ईस्ट साइबेरिया के 

बर्फीले टुंड्रा तक पहुंच गया।


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बल्कि आईस ऐज कड़ी परीक्षा ले रही थी। फिर भी इन्सान

 हर उस हुनर का विकाश कर रहा था कि वो सचे मायनों 

में इन्सान बन सके। हमने बौद्धिक रूप से एक बड़ी छलांग

 लगाई थी। और अब हम इस बात से परे सोचने लगे कि 

हमें जीना है।  जब पृथ्वी का पानी ज्यादातर बर्फ में कैद हो 

गया। तब महासागरों का स्तर सौ से स्वा सौ मीटर नीचे 

चला गया। इन्सानों के फैलने की आखरी हद अभी मिट 

चुकी थी। हम बरिंग लैंड ब्रिज को पार करके साइबेरिया से

 90 किलोमीटर आगे पहुंच गए थे। तेयारियों के इन सालों 

में इन्सान वजूद में आए और दुनिया भर में फेल गए। 

इसके बाद मानव का वो इतिहास सुरु हुआ जिसे हम अब

 जानते हैं। दुनिया का हमारा इतिहास वक्त की शुरुआत 

में एक बिग बैंग के साथ शुरू हुआ था और अब 1400 

करोड़ साल का सफर अब हमने पूरा कर लिया था। 

इन्सान अब पृथ्वी पर अपनी अहम भूमिका निभा रहा था। 

इसलिए ये जानना जरूरी है कि उस इतिहास में हमारी 

भूमिका कितनी चोटी सी है। इस बात को आसानी से समझने

 के लिए हम 1400 करोड़ साल के इतिहास को 14 साल का

 इतिहास मान लेते हैं। इस लिहाज से देखे तो पृथ्वी सिर्फ 

पांच साल पुरानी है और इन्सान कुछ देर के लिए ही आया

 है। पर इन्सान कुछ देर के लिए ही सही पर अपनी चमक 

दिखानेके लिए करोड़ों साल तक इंतजार किया था। तारे 

और ग्रह तत्वों को धीरे धीरे सही क्रम में लगा रहे थे। ताकि

 हम इंसानों का इतिहास लिखा जा सके।


12000 साल पहले


अफ्रीका से बाहर आने के एक लाख साल के अंदर ही इंसान 

साउथ अमेरिका तक पहुंच गया था। वहा इंसान का सामना 

आईस ऐज की मुस्किलो से हुआ। लेकिन हमारी मोत नहीं

 हुई बल्कि हमने अपने को उस माहौल में ढाल लिया था।

 अब हम पहले से बहुत ज्यादा समझदार हो गए थे। इसके

 बाद हमने  पूरी दुनिया में अपनी बस्तियां बसा की थी। 

समुन्द्र किनारे से पहाड़ की चोटियों तक हरे भरे मैदानों 

से लेकर रेगिस्तानों तक हर जगह इन्सान थे। लेकिन एक

 बार फिर बर्फ पिघलने लगी और महासागरों का स्तर बड़ने

 लगे। इन्सान अपनी अपनी जगह पर दो अलग अलग 

दुनिया  में फस गए। उन इलाकों में जो कुछ भी मिल रहा

 था उनके सहारे ही जीने कि कोशिश करने लगे जब 

ग्लेशियर पिघले तो उनसे झील नदियां खाड़ी या बनी

 उसके बाद वो मैप बना जिसको हम आज जानते हैं। 

अफ्रीका में तेज बारिश की वजह से एक विक्टोरिया और

 लेक अल्बर्ट का पानी बढ़ा जिससे इजिप्ट में नील नदी

 बैन गई। यूरेशिया में दूसरी नदियां बनी आज के पाकिस्तान

 में इंडस नदी का जन्म हुआ चीन में येलो और यांग नदियां

 बहने लगी। इन नदियों के पानी ने सभ्यता के पहले बीज

 बो दिए थे। क्योंकि इन नदी घाटियों के कारण जमीन 

उपजाऊ हो पाई। और आईस ऐज के बाद मौसम गरम हुआ

 तो पोधे और इन्सान बाहरी संख्या में बढ़ने  लगे। और 

तभी इन्सान एक ही जगह पर बसने लगे। अब मानव 

सथाई जीवन जीने लगा। और आबादी भी बढ़ने लगी। 

जब इन्सानों की संख्या बढ़ी तो हमारे पूर्वज समझदार हो 

गए थे।  और एक नई खोज ने पृथ्वी और इन्सान को बदल

 दिया था। अब इन्सानों ने बीज बोना सीख लिया था।  वो

 बीज उसी पोधे के थे, जिसने लाखो साल पहले हमे वानर 

से इन्सान बनाया था

            


              homosepiean



मानव इतिहास में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाला वो 

पोधा था घास। घास की जिस पर्जाती को हम अच्छी तरह

 से जानते हैं, वो है गना, गेहुं। हर तरह का अनाज घास 

की एक किस्म है। एक बार फिर हम बात कर लेते हैं बिग

 बैंग की हर जीव की कहानी का केंद्र है वो ऊर्जा जो उस 

महाविस्फोट से निकली थी। इस तरह ऑक्सीजन ने हमे 

बड़त दी आग ने हमे ज्यादा केलरी लेने की ताकत दी। 

उसी तरह खेती भी ऊर्जा के क्षेत्र में एक क्रांति थी। शिकार

 करने वाले इन्सान को जीने के लिए 25 स्क्वेयर  किलो

 मीटर एरिया में भागना पड़ता था इतनी दूरी में उसे जीने

 लायक पोधे और घोस्त मिल जाते थे, लेकिन एक 

किसान को सूरज की ऊर्जा से उस इलाके के 10% हिस्से

 में ही अपनी जरूरतें पूरी कर लेता था।  पिछले आईस 

ऐज के बाद जब मौसम गरम हुआ तब दुनिया में करीब

 आदा दर्जन जगहों पर खेती की जाने लगी। भूगोलिक

 तरीके से देखे तो पोधो और पालतू बनाने लायक जानवरों

 का सबसे बड़ा समूह नजर आया मध्य पूर्व के उपजाऊ 

इलाकों में। जिन लोगों के पास पोधों और  जीवों का सही 

उपयोग था वो ओरों के मुकाबले ज्यादा शक्ति शाली थे

 और वो आधुनिकता की ओर सबसे तेज़ी से बढ़ रहे थे...

 आगे का आर्टिकल  पार्ट-2 आप पढ़ना चाहते हैं तो नीचे 

Comment में बता सकते हैं। 

 

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