दुनियां का इतिहास क्या है?
अगर आप जानना चाहते हैं कि बिग. बैंग से लेकर आज तक पृथ्वी पर क्या क्या घटना घटित हुई है, तो चलो आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से कि केसे इंसानों ने पृथ्वी पर जन्म लिया और केसे मानव स्टोनहेंज से चलकर stillengine तक जा पहुंचा और किस प्रकार से शहरो और सभ्यताओं का निर्माण हुआ।
तो चलो जानते हैं इन्हीं सब चीजों के बारे में। ये इतना सब होने में 1 हजार 370 करोड़ साल लग गए थे। आज हम जिस इतिहास की बात करने वाले हैं उसका निर्माण बड़े ही रहस्यमई तरीके से हुआ था। कारण सायद हम ना जान सकें परन्तु अचानक हमारे
ब्रह्माण्ड में एक बहुत बड़ा विस्फोट हो गया सेकंड के एक बहुत छोटे हिसे मैं, वो चीज एक परमाणु से भी बहुत अधिक छोटी थी और वो अचानक एक तरामंडल से भी ज्यादा बड़ी हो गई वो एक ताकतवर ऊर्जा थी। जिसका हम आज बिग-बैंग के नाम से जानते हैं। बिग - बेंग ने इतनी मात्रा में ऊर्जा प्रदान कर दी जो आज तक हमारे ब्रह्माण्ड में मौजूद है। उसी ऊर्जा से आज हर वो तारा रोशन है हर जीव को ताकत मिलती है हम जितनी भी ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं वो उसी वक्त की देन है। जो उस वक्त कायनात बनी थी। गाड़ी में जब पेट्रोल डालते हैं तो उसी ऊर्जा का इस्तेमाल होता है, जो उस वक्त बिग बेंग के द्वारा बनी थी। हम ब्रह्माण्ड की ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं।
ब्रह्माण्ड में हमारे आस पास जितना भी सब कुछ है वो हाइड्रोजन की बदौलत है। हाइड्रोजन में बहुत गर्मी और दबाव होता है, उससे कई किस्म के परमाणुओं को बनाया जा सकता है परमाणु पूरे ब्रह्माण्ड में फेल गए परन्तु वो एक समान नहीं फेले क्योंकि ज्यादा परमाणुओं वाले छोटे पॉकेट्स में सुरुआती ब्रह्माण्ड को बनाने वाले ग्रेविटी ने अपनी ताकत दिखानी शुरू की पहले तारामंडल बनने लगे और ब्रह्माण्ड के राज अब सामने आने लगे पूरे इतिहास में जब भी कहीं एक जगह ऊर्जा और तत्व जमा हुए वहां जटिल चीजें होने लगी। पूरे ब्रह्माण्ड में कुछ ऐसी जगह थी जहां पर क्रिएटिविटी, साइंस, आर्ट, अब नजर आने लगे थे बहुत सी नई संस्कृतियां भी बनी बहुत सारी चीजे एक दूसरे से interact कर रही थी। बिग बैंग के 30 करोड़ साल बाद भी नए बन रहे तारामंडलों के अंदर ग्रैविटी लगातार गैस और धूल के बादलों को दबा रही थी जिससे दबाव और गर्मी बहुत तेजी से बढ़ने लगी। जब तापमान 17 लाख सेल्सियस पहुंच गया तो हाइड्रोजन के अणु आपस मैं टकराने लगे जिससे एक नया तत्व बना हीलियम और उससे निकलने लगे ऊर्जा के तेज उबाल और पहले तारे का जन्म हुआ। अचानक तेज रोशनी की चमक आने लगी जिससे निकली ऊर्जा ब्रह्माण्ड में मिलने लगी पूरा ब्रह्माण्ड रोशन हो गया परन्तु इस सुरुआती ब्रह्माण्ड में अभी किसी चीज़ की कमी थी तारे तो अन गिनत थे पर ग्रह अभी एक भी नहीं था। ग्रह बनाने और फिर इन्सान कि सरंचना करने के लिए अब अगला कदम रखना था। जिस वजह से आज तक का इतिहास बन पाया। इसके लिए ब्रह्माण्ड के पास हाइड्रोजन और हिलियम गैस ही थी। हम भले ही सूरज जैसे तारे को प्रकाश का स्रोत माने पर उसके अंदर एक बहुत बड़ी घटना हो रही थी। वो हाइड्रोजन को हिलियम से और हिलियम को लिथियम से मिलाकर 25 ऐसे आम तत्व बना रहे थे जो जीवन के लिए बहुत जरूरी थे, जिनमें कार्बन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और आयान जैसे भी सामिल थे मतलब 1200 करोड़ साल पहले ही तारे वो तत्व बनाने लगे थे जिनसे सहरों के लिए इमारतें और इन्सानों के बनाए बेहतरीन स्मार्ग बन सकते थे। लेकिन स्टेच्यु ऑफ लिबर्टी देखने से पता चलता है कि अगली ब्रह्माण्ड के सामने चुनौती क्या थी। इस मूर्ति का फ्रेम तो लोहे से बना है लेकिन इसकी खाल जिस चीज से बनी है वो इतनी बाहरी थी कि तारो में नहीं बन सकती थी। कुछ तत्व ऐसे होते हैं, जिन्हें अलग तरीके से बनाना पड़ता है। तारो के पास इस काम को अंजाम देने के लिए ऊर्जा नहीं थी। जब तारो में इतनी ऊर्जा नहीं थी तो उनको विस्फोट कर दिया जिनको हम सुपर नोवा के नाम से जानते हैं। और ये ब्रह्माण्ड में बिग बैंग के बाद सबसे बड़े विस्फोट थे उनसे जो ऊर्जा निकली तो ज्यादा बारही तत्वों को एक दूसरे में मिलाना सुरु किया विस्फोट के साथ वो तारे तो खत्म हो गए लेकिन उनसे बन गया यूरेनियम, सोना, और हमारी दुनिया में मौजूद दूसरे तत्व जिनमें से एक तांबा भी था। सुपर नोवा की वजह से ही आज हम हैं हमारे ब्लड में आयन है हमारे शरीर में आज भी सुपरनोवा के अवशेष मौजूद है। हमारे शरीर में घूम रहे हैं। तांबा और टिन ब्रॉन्ज सुपर नोवा के बिना ब्रॉन्ज भी नहीं होता आप मेडिकल से मल्टी विटामिन की दवा खरीदिए आपको उसमे तांबा जिक स्लेनियम हर वो तत्व मिलेंगे जो सुपरनोवा के बिना बनना नामुमकिन था। तारो से बने वही तत्व पृथ्वी पर जीवन के लिए बीज बने उनसे ही मानव इतिहास की संरचना हुई। परन्तु सफर तो अभी सुरु ही हुआ था। इससे पहले कि जीव बनते ब्रह्माण्ड को हमारे लिए एक घर भी बनाना था। सही घर बनाने के लिए हर एक जरूरी चीजों हमे जमा करनी पड़ती है तब जाके हम एक घर बना पाते हैं। जब हम पृथ्वी के सुरुआती दिनों की बात करे जब ये बनी थी तो उस वक्त अब जैसी बिल्कुल नहीं थी। हर जगह लावा ही लावा था। कही कही ज्वाला मुखी कि काली चटाने दिख रही थी पिघली हुई चटानों के तत्व इधर उधर बिखरे हुए थे। अब किसी को उन्हें सही कर्म में लगाना था। अब ये काम किया ग्रैविटी ने हल्की चीजें सतह को और गई और एक सख्त पपड़ी बन गई बाहरी चीजें केन्द्र की ओर जमा हो गई और उन्होंने पिघले हुए लोहे और निकेल कि एक परत बना दी अब वो पिघले हुए धातु का केन्द्र मैगनेटिक फील्ड बना रहा था। जो अंतरिक्ष तक गया एक फोर्स फील्ड बनकर हमारे होने वाले घर को सूरज के खतरनाक तत्वों से बचाने वाला था। और जल्द ही इस मैगनेटिक फील्ड ने जीवन को बढ़ने का मोका दिया,और बाद में उन खोज करने वालो के लिए एक मददगार बना जिन्होंने दुनिया के दोनों हिस्सो को जोड़ा
लेकिन इस सब के लिए पृथ्वी को एक साथी कि जरूरत थी।
4. 5 बिलियन साल पहले
4.5 बिलियन साल पहले मंगल गरह के बराबर का एक पिंड करीब करीब 40 हजार किलोमीटर / घंटे की रफ्तार से पृथ्वी से टकरा गया। पृथ्वी पर जीवन के विकास के लिए मौसम का अनुकूल होना बहुत जरूरी है। और पृथ्वी का अपनी धुरी पर थोड़ा झुका होना भी पृथ्वी पर जीवन बरकरार रखने के लिए बहुत जरूरी है। चांद की ग्रैविटी की वजह से पृथ्वी के घूमने की रफ्तार भी कम हो गई। जिससे हमारे दिन अब 6 घंटे की वजाए 24 घंटे के होने लगे।
4.4 बिलियन साल पहले
440 करोड़ साल पहले अब पृथ्वी पर इतनी गर्मी थी कि यहां पानी रह ही नहीं सकता था। लेकिन वायुमंडल में पानी की भाप थी। अब चुनौती ये थी कि उसे आसमान से धरती पर केसे लाया जाए। जहां पर भी जीवन हो वहां पर थोड़ी बरसात का होना भी जरूरी था। कई लाख साल बाद जब पृथ्वी ठंडी हुई तब बारिश होने लगी जिससे तालाब झिले और फिर महासागर बने।
3.8 बिलियन साल पहले
380 करोड़ साल पहले हमारी पृथ्वी के पास एक चांद था एक महासागर था लेकिन वो ऐसा नहीं था जैसा हम आज देख रहे हैं। इंसान के इतिहास का मंच बनने के लिए पृथ्वी को ऑक्सीजन से भरा वायुमंडल और ऐसे उपजाऊ महादेश चाहिए थे जहां जिन्दगियां जी जा सके। हमारे महासागरों के सतह के नीचे एक नई क्रान्ति हो रही थी। छह मामुली से तत्व जिनमें से एक बिग बैंग से निकला हाइड्रोजन तारो से बना ऑक्सीजन कार्बन और नाइट्रोजन इन सब ने मिलकर जीवो की संरचना सुरु कर दी। और हमारी भी। जिनमें से सबसे खूबसूरत था DNA उसके छलनों के नीचे छिपे थे जीवन के कोड। हमारी धरती के बनने के 7 लाख साल बाद जीवन भी सुरु हो गया।
इन्सान का शरीर छोटे छोटे बैक्टीरिया से बना है। इन्सान आज ये सोच रहा है कि ये दुनिया हम चला रहे हैं। लेकिन इन्सान इस दुनिया में बहुत बाद में आया है। इन्सान के शरीर के अंदर बैक्टीरिया एक पूरी फौज है। असल में हमारे शरीर में इतने बैक्टीरिया हैं जितने दुनिया में इन्सान हैं। कई करोड़ सालों तक इस तरह के जीवाणुओं का ही इस धरती पर राज था। नवजात ब्रह्माण्ड कि तरह सुरुआती जीव भी काफी छोटे और मामुली थे। परन्तु वो संभावनाओं से भरे थे। उसने किस तरह से नए नए रूप धारण किए।
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